प्रखंड के विभिन्न पंचायत में वट सावित्री पूजा की रही धूम

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वट वृक्ष अक्षय वट है जिसका अस्तित्व आदि से अनंत काल तक रहेगा: आचार्य

Digitalnews24/बैजनाथ महतो

बरकट्ठा: पति परमेश्वर के शिव मुझको ना परमेश्वर चाहिए में सुहागन रहूं सात जन्मों तक, मुझे मेरा ही वर चाहिए जैसे मंगल गीतों के साथ प्रखंड के सभी पंचायत में सावित्री पूजा की धूम रही, इस अवसर पर सुहागन महिलाओं ने वट वृक्ष की विधिवत पूजा अर्चना कर अपने पति की लंबी उम्र की कामना किया
पहले सुबह से ही प्रखंड परिसर, गोरहर टोला मोहल्ले , बोराटांड़ आदि विभिन्न स्थानों पर सोलह सिंगर के सात सुहागन महिलाएं वट वृक्ष के निकट पहुंचने लगी थी, वैदिक रीति व परंपरागत तरीके से वटवृक्ष के समक्ष पंखे बताशा,फल आदि सामग्री आदि रखकर पूजा किया. पति की लंबी आयु और स्वस्थ जीवन की कामना को लेकर धागे से वटवृक्ष की 108 फेरे लगाएं और मंगल गीत गया. जहां आचार्य ने सावित्री सत्यवान की कथा सुनाया. मान्यता है कि वट वृक्ष में ब्रह्मा , विष्णु वी शिव के अलावा माता सावित्री का वास है. इस दिन बरगद के वृक्ष को जल से खींच कर उसमें कच्चे सुते लपेटे हुए उनकी परिक्रमा करने से पति की आयु में वृद्धि होती है. वट वृक्ष के नीचे में शामिल की। कोरोना से बचने को लेकर महिलाएं घर नजदीक वट वृक्ष के पास पहुंचकर पूजा आराधना की। या मनमोहक नजारा प्रखंड के हर एक पंचायत में व्हाट विच के पास देखने को मिला. गोरहर टोला रंगनिया, नवनिर्मित हनुमान मंदिर कटहरटोला के समीप कार रहे आचार्य रजनी पांडेय ने वट सावित्री व्रत के महत्व को बताते हुए कहा कि सनातन संस्कृति में वट वृक्ष को कल्प वृक्ष माना जाता है जिसका अस्तित्व आदिमकाल से धरती पर है और सृष्टि के समापि्त के पश्चात भी रहेगा. यही कारण है कि इसे अक्षय वट भी कहा जाता है . इसी बीच के नीचे सावित्री ने यमराज से सत्यवान के पुनर्जीवन का वरदान मांगा था. वैज्ञानिक तरीकों से भी वटवृक्ष स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है. इसे पत्तियों में हेक्सेन, ब्यूटेनांल, क्लोरोफॉर्म और पानी आदि जैसे महत्वपूर्ण तत्व होते हैं जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है.