रोड खराब होने के कारण के पर्यटक को आधे रास्ते से वापस लौटे, रोड एवं बंदुवाड़ीह पुल निर्माण की मांग।
Digitalnews24/बैजनाथ महतो
बरकट्ठा:चुना वॉटरफॉल इन दिनों पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना है। जलप्रपात की खूबसूरती देखने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंच रहे हैं। जंगलों के बीच बहता यह झरना प्राकृतिक के करिश्मे का एक अनूठा नमूना है। चुना वॉटरफॉल तक पहुंचने वाली सड़क एवं पुल निर्माण नहीं होने से पर्यटकों के लिए मुसीबत बन गई है। खराब सड़क के कारण यात्रा काफी कठिन हो गई है। रोड़ के अभाव में यहां पर्यटकों की संख्या बहुत ही कम देखने को मिला अगर यहां रोड़ की समुचित व्यवस्था हो जाए तो आने वाले दिनों में यह चुना वॉटर फॉल के साथ साथ यहां रहने वाले ग्रामीणों के लिए अच्छा खास रोजगार का साधन हो जाएगा स्थानीय पर्यटक जिला प्रशासन से रोड़ बनवाने की मांग करते हैं वहीं उप मुखिया अरुण कुमार ने कहा कि चुना वॉटरफॉल आकर्षण का केंद्र बनते जा रहा है । यहां तक की बात करें बंदुवाड़ीह के निवासी सरकार की कई महाकांक्षी योजना। लाभ नहीं ले पा रहे हैं। अब तक 19वीं शताब्दी जीवन जी रहे हैं। रोड़ एवं पुल निर्माण बनवाने का मांग करते हैं। गोरहर के आस -पास के ग्रामीण इलाकों में नववर्ष के मौके पर विषेश उत्साह का मौके पर विषेश उत्साह का माहौल देखने को मिला। गांव के लोग पूरे परिवार के साथ अपने पूरे परिवार के साथ अपने घरों से बहार निकलकर लजीज व्यंजनों और वन भोज का आनंद लेते नज़र आए । सभी ने मिलकर एक दूसरे को नववर्ष की शुभकामनाएं दी और खुशी के इस मौके को संस्कृतिक रंग में रंग दिया । ग्रामीण ने इस दिन को पुसालू के रूप में बड़े उत्साह के साथ मनाया ।पुसालू का ग्रामीण क्षेत्रों में ख़ास महत्व है और इसे पारम्परिक रूप से मनाने की परंपरा वर्षों से चली आ रही है। है। ग्रामीण ने बताया कि हर साल पूस के महीने में वे परिवार और दोस्तों के साथ वन भोज का आनंद लेते हैं। अवसर पर यह परंपरा और खास हो गई। वन भोज के दौरान ग्रामीणों ने तहत तहत के पकवान बानाए और सभी ने मिलकर भोजन का आनंद लिया । इस मौके पर विशेष रूप से डॉ गणेश महतो, डॉ देवा महतो, रामचंद्रा महतो , धीरेंद्र महतो, संतोष कुमार, गुलश्वर प्रसाद , किशोर महतो,छोटो महतो, संजय महतो, भिरगू महतो , शंकर महतो, धीरेंद्र महतो , राज कुमार, सहित स्थानीय ग्रामीणों ने उत्सव में भाग लिया। नव वर्ष के इस उल्लासपूर्ण मौके पर जहां एक ओर ग्रामीणों ने पारंपरिक रीति रिवाज को जीवंत रखा, वहीं दूसरी और सभी ने आपसी भाईचारे और सौहार्द का संदेश भी दिया। इस तरह, बरकट्ठा प्रखंड और उसके आसपास के कामों में नव वर्ष का या जश्न ग्रामीण सांस्कृतिक और परंपराओं की खूबसूरती को दर्शाता है।