

उदयपुर. राजस्थान के आदिवासी बाहुल्य इलाकों में आज भी ऐसे कई गांव है जहां व्यक्ति की हादसे या फिर आपराधिक वारदात में मौत हो जाने पर मौत के जिम्मेदार लोगों से रुपयों की मांग की जाती है. यदि रुपये नहीं मिलते हैं तो लोग मौत के गम को भूलकर उपद्रव पर उतारू हो जाते हैं. इस कुप्रथा को आदिवासी अंचल में ‘मौताणा’ और ‘चढ़ोतरा’ के नाम से जाना जाता है. मेवाड़ के उदयपुर में दो दिन पहले ही फिर से ऐसा ही एक मामला सामने आया है. एक युवक की हत्या के बाद मौतणे के रूप में पीड़ित परिवार को रुपये नहीं मिले तो ग्रामीणों ने आरोपी के घर पर चढ़ोतरा (हमला) बोल दिया.
झाड़ोल डीएसपी नेत्रपाल सिंह ने बताया कि उदयपुर जिले के फलासिया थाना इलाके में दीपावली के दिन एक व्यक्ति की हत्या कर दी गई थी. थावरचंद भगोरा नाम का यह व्यक्ति अपने ननिहाल भामटी गांव गया हुआ था. वहां उसका मामा के यहां कोई विवाद हो गया. इस पर कुछ युवकों ने उसकी चाकू से गोदकर हत्या कर दी. इस मामले में पुलिस को सूचना दी गई. पुलिस में मौके पर पहुंचकर घटनाक्रम को शांत करवाया और हत्या की तफ्तीश शुरू की.
300 से ज्यादा ग्रामीण भामटी गांव पहुंच गए
यह पूरा इलाका आदिवासी बाहुल्य है. लिहाजा इस मामले में भी मौताणे की कुप्रता तूल पकड़ने लगी. ग्रामीण आरोपी परिवार से मौतणे की मांग पर अड़ गए. मौत के बदले रुपयों की मांग होने लगी. लेकिन पुलिस की सख्ती कारण उनको सफलता नहीं मिली. पुलिस ने मौत के बदले रुपये मिले बिना ही मृतक के शव को उनके परिजनों के सुपुर्द कर दिया. इस घटना के बाद दो दिन पहले मृतक थावरचंद भगोरा के गांव उपली सिगरी से 300 से ज्यादा ग्रामीण भामटी गांव पहुंच गए. उन्होंने मौत के जिम्मेदार लोगों और ग्रामीणों के घरों पर पथराव कर तोड़फोड़ कर डाली.
तीन दर्जन लोगों के खिलाफ नामजद केस दर्ज किया गया है
इस मामले के आरोपी नाबालिग हैं. पुलिस ने उनको डिटेन कर लिया है. अब चढ़ोतरा करने वाले ग्रामीणों में से करीब तीन दर्जन के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज की गई है. इसके साथ ही करीब ढाई सौ से ज्यादा ग्रामीणों की भीड़ के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. मौताणे और चढ़ोतरा की कुप्रथा को खत्म करने के लिए उदयपुर पुलिस लगातार काम कर रही है, लेकिन उसमें उसे बड़ी सफलता नहीं मिल पा रही है.
बीते 35 दिनों में तीन केस सामने आ चुके हैं
हालांकि पिछले 35 दिनों में फलासिया थाना पुलिस के सामने तीन ऐसे मामले आए हैं जिनमें मौताणे की मांग की जा रही थी लेकिन उन्हें मौताणा नहीं लेने दिया गया. पुलिस ने उन शवों का शांतिपूर्वक अंतिम संस्कार करवाया है. उसके बाद कानून व्यवस्था बिगड़ने जैसी नौबत भी आई. लेकिन पुलिस ने पूरी सख्ती से मामले को निपटा दिया. इस बार भी डीएसपी नेत्रपाल सिंह का कहना है कि इस कुप्रथा को खत्म करने के लिए पुलिस पूरी सख्ती बरतेगी. मौत के बदले पैसे जैसी इन पुरानी प्रथाओं को पूर्ण रूप से बंद किया जाएगा. जो लोग उपद्रव करेंगे उनके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी.